सिर्फ राजनीति अहिंदू गतिविधि चलाने वालों का मकसद नहीं !

कुछ घटनाएँ तीव्र गति से बनती जा रही है | और हर बार ऐसी घटनाएँ एक बात स्पष्ट कर जाती है की एक टोली है इस देश में जो नागरिको में ध्रुवीकरण कर रही है | जब इस घटनाओ का बारिकी से अध्ययन करते है तो लगता है की यह मामला ध्रुवीकरण का नहीं है लेकिन इस देश के बहुमत समाज को डरा कर, उनमे अपराधिक मानसिकता का आरोपण कर , अल्पसंख्यक मुस्लिम और क्रिश्चयन की तरफदारी कर हिन्दू संस्कृति को समाप्त करने की एक रणनीति बन चुकी है और इस पर सामूहिकता से कार्य चल रहा है |

अभी कुछ घंटो पहेले दादरी कांड में मथुरा स्थित फोरेंसिक लेब ने प्राथमिक रिपोर्ट दिया की अख़लाक़ के घर से जो पदार्थ मिला था वह गौ मांस ही था | सब को याद दिलाने की जरुरत नहीं है की अख़लाक़ के घर में गाय को काट कर गौमांस रखा गया था इसी घटना में कुछ लोगो ने उसके घर पर हमला कर उसको मार दिया था | और बाद में लगभग सारे कोम्युनिस्ट, और कोंग्रेसी साहित्यकारों ने असहिष्णुता का ब्युगल बजा कर उनको कोंग्रेसी सरकारों ने दिए एवोर्ड वापिस किये थे, वैसे एवोर्ड के साथ जो नकद राशी मिली थी वह किसीने नहीं लोटाइ यह भी एक विषय ही है | इस घटना के पीछे पीछे ही जवाहरलाल नहेरु यूनिवर्सिटी में देश विरोधी नारे लगे | दादरी कांड और जे. एन.यु. कांड में एक साम्य है | जैसे दादरी की घटना हुई सेक्युलर मंडली ने चिल्लाना शुरू किया जैसे इस देश के सारे मुसलमानों का क़त्ल कर दिया गया हो ! तात्पर्य यह नहीं की अख़लाक़ के साथ जो हुआ वह सही था | दुखद घटना थी वह, दुर्भाग्य पूर्ण घटना थी वह, जो हुआ वह निंदनीय था | लेकिन उत्तरप्रदेश की समाजवादी पक्ष की सरकार, दिल्ही का मुख्यमंत्री केजरीवाल , कोम्युनिस्ट और राहुल सोनिया समेत सारे कोंग्रेसीओ ने पुरे हिन्दू समाज को कठघरे में खड़ा कर दिया | देशभर में गौमांस की पार्टिया मनाने लगे यह लोग, इतने से ही नहीं रुके उत्तर प्रदेश वेटरनरी बिभाग ने तो अख़लाक़ के घर में फ्रिज से मिला पदार्थ गौमांस नहीं बकरे का माँस था ऐसी रिपोर्ट भी दी, जो आज फोरेंसिक लेब की रिपोर्ट आने से जूठी साबित हो गई | जवाहरलाल नहरू यूनिवर्सिटी में भी कुछ ऐसा ही हुआ | कनैयाह और उमर ने नारे लगाए थे वह विडिओ फर्जी है ऐसा केजरीवाल सरकार की एजंसी ने जितनी त्वरित गति से साबित कर दिया उतनी त्वरित गति से तो कोई अपना लिव एप्लीकेशन भी नहीं लिख पाता होगा | फिर कनैयाह को प्लेन में बिठा बिठा कर हीरो की तरह घुमाया गया | बाद में उसी जवाहरलाल नहेरु यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने जो कनैह्या और उमर को निर्दोष विध्यार्थी बता रहा था , दो नो को सजा भी दी | यहाँ भी प्रयास यही हुआ की राष्ट्रवाद की बाते करने वाले सारे लोग गलत है , किसी को बोलने तक की आजादी नहीं देते , आमिर , शाहरुख़ जैसे मुस्लिम कलाकार भी इस आग में कूद गए और जले भी |

तिसरी घटना हुई मालेगौव ब्लास्ट में साध्वी प्रज्ञा को एन आई ए ने क्लीनचिट दी | तब भी यही गेंग मैदान में आ गयी | हेमंत करकरे जो इस केस की पड़ताल पहेले कर चुके थे और मुंबई हमले में मारे गए थे उनकी शहादत को जैसे पुरे हिन्दू समाज ने कलंकित कर दिया हो ऐसा माहोल बनाया गया | कैसी जूठी बाते भी यह लोग बना लेते है ! दिग्विजय और लोकसत्ता के कुमार केतकर ने कहा की करकरे शहीद होने से पहेले उनको मिले थे और साध्वी प्रज्ञा आतंकवादी है ऐसे प्रमाण उनको दिखाए थे | आश्चर्य तो तब हुआ की भूतपूर्व पोलिस अफसर जूलियो रिबेरो भी इन्डियन एक्सप्रेस में एक लेख लिख कर इस विवाद की आग में कूद पड़े | इन्होने भी राग दिग्गीराजा ही बजाया | रिबेरो ने अपने लेख में लिखा की मृत्यु के कुछ दिन पहेले करकरे उनसे मिले थे और साध्वी दोषित है उसके प्रमाण उन्हें दिखाए थे, फिर अफ़सोस करते हुए रिबेरो लिखते है की काश वह सबुत उन्हों ने देख लिए होते| पूरी दुनिया को मुर्ख समजते है न यह लोग ? सभी को मृत्यु के पहेले ही करकरे क्यों मिले ? अगर करकरे के पास रिबेरो से लेकर दिग्विजय को बताने के लिए सबुत थे पर कोर्ट में पेश करने के लिए सबुत नहीं थे ? दरअसल मकोका के तहत बेल नहीं होती इसी लिए साध्वी को बेल नहीं मिली थी | ६ साल तक केस की सिर्फ छानबिन चलती रही कोई प्रमाण हाथ नहीं लगा इस लिए सोनिया के रहेंम पर चलनेवाली सरकार चार्जशीट तक फ़ाइल् नहीं कर पाई |

यह टोली अपने आप को बुध्धिमानों के पिता के रूप में पेश करती है कोई भी व्यक्ति हिंदुत्व के पक्ष में बोले तो यह लोग उस व्यक्ति के खिलाफ मोर्चा खोल देते है | इनको आई एस आई और आर एस एस का फर्क पता नहीं, इनको मुस्लिम ब्रधर हुड और बजरंग दल में फर्क मालुम पता | मुसलमान होते हुए भी हिन्दू देवी देवताओ का अपमान करने वाली फिल्मे बनाकर यह लोग अरबो रुपये कमाते है फिर इंटोलरंस की बाते करते है | अगर कश्मीरी पंडितो के पक्ष में अनुपम खेर बोले तो गुजरात दंगो पर गुजरात में नहीं होने के बावजूद विश्व फलक पर चिल्ला चिल्ला कर बोलने वाला नसरुद्दीन अनुपम को कहेते है की अनुपम कश्मीर घाटी में नहीं रहा इस लिए उनको कश्मीर के बारे में नहीं बोलना ऐसी टिपण्णी करते है |

इस देश के ८० प्रतिशत लोगो के खिलाफ मोर्चा खोलकर २० प्रतिशत लोगों को अपने पाले में कर के सत्ता हांसिल कर लेंगे ऐसा समजे इतने मुर्ख नहीं है यह लोग | दर असल देश को फिर से अंग्रेजो और मुगलों के ज़माने में घसीट कर ले जाना चाहते है ताकि आसानी से हिन्दू समाज को तोडा जाय और दुनिया की सर्वसमावेशक हिन्दू संस्कृति को रिप्लेस किया जाय |

 

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    Alkesh

    बहुत सुंदर और सटीक बात की ।

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  2. 1

    Arvind mishra

    सर जिस दिन हिन्दू मे एकता आ जायेगा उस दिन ये दूर दूर तक नजर भी नही आएंगे। लेकिन अफसोश की बात है की कुछ लोग हिन्दू को जातिवाद के मोहमाया मे बाट दिए है इसी कारण हिन्दू एक नही हो सकते।
    और जब तक हिन्दू एक नही होंगे वो अपने हिंदुस्तान मे ही खुल कर जी नही सकते।

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  3. 1

    seema dasgupta

    v good.☺u should create awareness among Hindus.They come forward with unity nd try to stop such type of activities in our Nation.

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    1. 1

      विजय ठाकर

      बात तो सही है और शुरुआत अपने लोगो को समजाने के ही करनी चाहिए

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  4. 1

    Avdhesh Misra

    Yes, dangerous trend of unholy alliances. Owaisi ran to support Vemula (considered Dalit). Many misguided dalits extending support to Afzal and Yaqub. I wonder if a new version of THE RELIGIOUS BOOK has surfaced excluding dalits from the ambit of ‘KAFIR’.

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  5. 1

    शैलेष पटेल

    दुध का दुध ओर पानी का पानी कर दिया विजय भाइ ने ओर वो भी इतनी शालीनता से की ना उतर है उनके पास ।तर्क पूर्ण सराहनीय प्रयास है ।

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  6. 1

    Shyam

    Nice summary of almost all events happened after May 2014. Abhinandan

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  7. 1

    सुभाष

    80% और 20% में एक मूल अंतर समझ लेना चाहिए।
    देश में कोई भी चुनाव हो, 20% जनसंख्या के निर्लज्ज हिमायतियों को दो तिहाई अथवा उससे अधिक वोट मिलते आए हैं।
    80% बहुसंख्यकों की साम्प्रदायिक पार्टी कहलाने वालों को प्राय: एक तिहाई वोट भी नहीं मिलपाते।
    चालाक राजनीतिबाज और उनका सहयोगी मीडियाई लश्कर यह कटु सच्चाई हमसे ज्यादा अच्छी तरह जानते हैं।
    वे जानते हैं कि 80% को ठोकर मार कर, 20% की बेशर्म हिमायत करने में ही चुनावी लाभ है।

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  8. 1

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