देशप्रेम ह्रदय में होना चाहिए, और हृदय अभिव्यक्त भी होना चाहिए !
आजकल एक चर्चा चल पड़ी है, कोई कहेता है की में भारत माता की जय बोलूँगा ,तो कोई कहेता है की मेरी गरदन पर छुरी रख दो फिर भी में भारत माता की जय नहीं बोलूँगा, किसी ने बोला भारत माता की जय बोलने में कोई दिक्कत नहीं पर हमसे देशभक्ति का प्रमाण पत्र क्यूँ मांग रहे हो ?
यह चर्चा चल पड़ी ऐसा कहेने से ज्यादा सच यह है की यह चर्चा बेवजह चलाई जा रही है | भारत में एक टोली को ऐसी बातो को चलाने में कुछ विशेष रूचि भी है | दर असल यह चर्चा आर.एस.एस. के सरसंघचालक मोहनजी भागवत के इस बयान पर शुरू हुई जिसमे उन्होंने कहा था की आजकल के बच्चों को भारत माता की जय बोलना सिखाना पड़ेगा | नागपुर के एक कार्यक्रम में मोहनजी ने यह कहा की तुरंत हैदराबाद से असुदीन ओवेसी ने बयान जारी कर दिया की “ मेरी गरदन पर छुरी रखदो तब भी में भारत माता की जय नहीं बोलूँगा” | भारत के नमक पर जिन्दा और फिर भी हमेशा भारत की बुराइ करने के लिए तत्पर एक टोली ने ओवेसी के बयान को उठा लिया और प्रश्न खड़े करने शुरू कर दिए की क्या भारत माता की जय के नारे लगाकर ही देशभक्ति साबित की जानी चाहिए ? जो भारत माता की जय ना बोले वह देश द्रोही है क्या ? फिर घिसे पिटे आरोप शुरू हो गए की आर.एस. एस. अपना एजंडा लोगो पर थोपना चाहती है |
अपने आप को स्वयं ही एक विशेष ऊंचाई पर बिठाने वाले इन बुद्धिजीवियों का क्या कहेना ? एक तो मोहन भागवतजी ने जो बात कही उसका सन्दर्भ सीधा किसी से जुड़ता नहीं था, सहज और सभी के लिए यह बात थी | अगर सामयिक संयोजन देखे तो जवाहर लाल नहेरु युनिवर्सटी से उठे देश विरोधी नारों से इसे जोड़कर देखा जा सकता है ||इस लिए ओवेसी को अपने सर पघडी नहीं पहेंननी चाहिए थी | क्यूँ की मोहनजी का यह बयान मुसलमानों को ध्यान में रखकर नहीं आया था , और यह बात तो देश के लाखो मुसलमानों ने भारत माता की जय के नारे लगाकर साबित भी कर दी थी ! फेसबुक , ट्विटर से लेकर संसद तक मुसलमान जहाँ था वहा उसने अपने आप को ओवेसी से अलग कर किया था ! फिर भी कोम्युनिस्ट और कट्टर पन्थियो ने इसे मुद्दा बना लिया | इसको ओर भुनाने में इन बुद्धिजीविओ ने कोई कसर भी नहीं छोड़ी |
कुछ बाते स्पष्ट हो जानी चाहिए , प्रमाण पत्रों से देशभक्ति नापी नहीं जाती | लेकिन भारत माता की जय, वन्दे मातरम, जय हिन्द या माँ तुजे सलाम ऐसे नारे देशभक्ति के धोतक है, परिचायक है | और भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह, जंग रहेगी जंग रहेगी भारत की बरबादी तक जंग रहेगी, अफजल हम शर्मिंदा है तेरे कातिल जिंदा है एक्स्ट्रा …एक्स्ट्रा देशद्रोह के परिचायक है | सच्चा देशभक्त देश भक्ति के नारों को सीने से लगाएगा, ना की देशद्रोही नारों को | और ऐसे नारों के वक्त कोन कहाँ खड़ा है इसके आधार पर देशभक्ति नापी जाएगी यह भी एक सच्चाई ही है | क्यूंकि आप की खुद की टीवी चेनले और अख़बार चल रहे है इस लिए आप चिल्ला चिल्लाकर अभिव्यक्ति की आजादी या स्वतन्त्रता के नाम पर अपना दामन बचा नहीं पाओगे | किस दिशा में चले जा रहे हो ? नक्सली आतंकवादी हमारी सेना के बहादुर जवानो को बेरहमी से मार डाले और आप इसे क्रांति का नाम देकर युनिवर्सिटियो में फटके जलाएंगे ? संसद पर हमला करने वाले अभियुकत को सात आठ साल तक न्याय के मंदिर में मोके पर मोका देकर सम्पूर्ण न्यायाधीन तरीके से फांसी लगे तो उसे ज्युडिशियल मर्डर कहोगे ? ट्रेनो में बोंब रखकर पूरी मुंबई को दह्लादेने वाले शख्स की फांसी रुकवाने के लिए रात को दो बजे सुप्रिम कोर्ट खुलवाओगे फिर भी आप की बात कोर्ट को गलत लगे और उस याकूब मेमन को फांसी लग जाय तो सामूहिक शोक मनाओगे ? अगर भारत माता की जय ना बोलना देशद्रोह नहीं है तो अभिव्यक्ति की आज़ादी और डेथ सेंटेंस के विरोध के नाम पर यह जो दुकाने चल रही है यह देशप्रेम की निशानी भी नहीं है | देशप्रेम ह्रदय में होना ही चाहिए और हृदय अभिव्यक्त होना चाहिए | भारत माता की जय |
yashwant
Good relevant, little late
Shailesh Patel
Very good article on current subject.
seema dasgupta
i agree with u jii☺