हम तो परछांई यों सेे डरते है
हम तो परछांईयों से डरते है ,
प्यार तन्हाईयों से करते है ।
तुजको मिलना तो ऐसी आदत है,
रोज सपनों में आके मिलते है ।
ऐसे डरने की कोई बात नहीं,
ये उजालें है गम की रात नहीं ।
एक नदीया के दो किनारे हम,
बिन मिलें भी कोई उदास नहीं
एक समंदर है तेरी आंखो में,
और नदियाँ तुम्हारी बातों मे ।
ईतनी उंचाईयों पे होंगे सनम,
उन पहाडों पे तेरे होंगे कदम ।
seema dasgupta
superb…☺jii