हम तो परछांई यों सेे डरते है

हम तो परछांईयों से डरते है ,
प्यार तन्हाईयों से करते है ।
तुजको मिलना तो ऐसी आदत है,
रोज सपनों में आके मिलते है ।

ऐसे डरने की कोई बात नहीं,
ये उजालें है गम की रात नहीं  ।
एक नदीया के दो किनारे हम,
बिन मिलें भी कोई उदास नहीं

एक समंदर है तेरी आंखो में,
और नदियाँ तुम्हारी बातों मे ।
ईतनी उंचाईयों पे होंगे सनम,
उन पहाडों पे तेरे होंगे कदम ।

Leave Comment
  1. 1

    seema dasgupta

    superb…☺jii

    Reply

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shares