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एकात्मता से भी आगे ऐक्य : ना में बड़ा ना तुम छोटी !
एक फेसबुक ग्रुप में किसी ने पोस्ट रखी उसका विषय था “स्त्री को पुरुषों के बराबर करने के उपाय बताइए” , बहोत सी कमेंट… Read Moreના ડૉ મહેબૂબ દેસાઈ વેદોમાં મહંમદ સાહેબ (સ. અ. વ.) ના જન્મ ની કોઇ ભવિષ્ય વાણી નથી થઈ.
29 ઓક્ટોબર 2020 ના દિવ્ય ભાસ્કર માં ઇસ્લામિક સ્કોલર મહેબૂબ દેસાઈ એ એક લેખ લખ્યો એનું શીર્ષક છે મહંમદ સાહેબ (સ.અ. વ.) ના જન્મ… Read Moreआर.एस.एस. और मुसलमान : कुछ लोगों के लिए एक रोमेंटिक खयाल |
मिडिया के लिए कुछ रोमेंटिक विषय रहेते है, जिसमें से एक विषय है मुसलमानों और राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ’ | अभी थोड़ी देर पहेले ही… Read Moreजाकिर नायक को क़ानूनी सबक मिलना ही चाहिए |
तारीफ फ़तेह जो केनेडियन लेखक और लिबरल एक्टिविस्ट है , जब कर्णावती(अमदावाद) आये थे तब उन्हों ने एक बात कही थी जाकिर नायक के… Read MoreMy Poems
साधन हुं में साध्य नही
साधन हुं में साध्य नही, माँ तुजसा आराध्य नही l मार्ग हु में बस ध्येय नही, उसमे कोई संदेह नही l तेरे चरण कमल…शिव स्तुति
अनंत अंत निरंत आनंद नन्द स्वामी शंकरा, हर हर दमादम मस्त तू नटराज शंभू सार्थका I नाद तू अनाद तू नितांत तू हे शिव…में राष्ट्र हूँ
अखंड हूँ, अगाध हूँ , प्रचंड शक्तिपात हूँ । धर्म रक्षा धार हूँ, अधर्मीओ पे वार हूँ । काल को संहारता राम का मे…Latest Posts
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एकात्मता से भी आगे ऐक्य : ना में बड़ा ना तुम छोटी !
एक फेसबुक ग्रुप में किसी ने पोस्ट रखी उसका विषय था “स्त्री को पुरुषों के बराबर करने के उपाय बताइए” , बहोत सी कमेंट उस पोस्ट पर आई कुछ चीला चालू थी, कुछ थोड़ा हटके थी, कुछ आपत्ती हो सकती है ऐसी भी थी | ज्यादातर दो हिस्से दिखे | एक वर्ग ऐसा था जो
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ના ડૉ મહેબૂબ દેસાઈ વેદોમાં મહંમદ સાહેબ (સ. અ. વ.) ના જન્મ ની કોઇ ભવિષ્ય વાણી નથી થઈ.
29 ઓક્ટોબર 2020 ના દિવ્ય ભાસ્કર માં ઇસ્લામિક સ્કોલર મહેબૂબ દેસાઈ એ એક લેખ લખ્યો એનું શીર્ષક છે મહંમદ સાહેબ (સ.અ. વ.) ના જન્મ ની વેદોમાં આગાહી અને એ શીર્ષક આગળ પ્રશ્નાર્થ ચિન્હ કર્યું છે. પ્રશ્નાર્થ ચિહ્નનો અર્થ એ થાય કે એ પોતે એમણે લખેલા લેખ માં આપેલા સંદર્ભો ને લઇ ને ચોક્કસ નથી. આ
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साधन हुं में साध्य नही
साधन हुं में साध्य नही, माँ तुजसा आराध्य नही l मार्ग हु में बस ध्येय नही, उसमे कोई संदेह नही l तेरे चरण कमल समीप मे, कृत संकल्प खड़ा में कौन ? में स्वतंत्रता का हुं हुंकार ! में समर्पण की अगन जाल ! हिमशिला सा में मस्तक माँ का ! माँ भारती का चतुर्भुज
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પ્રીત ન કરીઓ કોઈ ….!
મૃગા, જયારે હું સાચી વાત કરીશ ત્યારે કદાચ તું એ વાત નહીં માને.. કોઈ ફીચર ફિલ્મ ની રોમેન્ટીક વાર્તા જેવું લાગશે અથવા તો કોઈ લેખક ની કલ્પના જ સમજીશ. પણ આ હકીકત છે. એ દિવસો મારા થી ભુલાતા નથી. પ્રેમ નું પણ ઝરણું હોય છે જે ખળ ખળ વહેતું હોય છે, એ એટલું નિશ્ચલ હોય
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शिव स्तुति
अनंत अंत निरंत आनंद नन्द स्वामी शंकरा, हर हर दमादम मस्त तू नटराज शंभू सार्थका I नाद तू अनाद तू नितांत तू हे शिव शिवा, अव्यक्त व्यक्त समस्त सार समर्थ तू देवेश्व्ररा II अनंत अंत निरंत आनंद नन्द स्वामी शंकरा (१) एक तू है अनेक तू प्रत्येक का प्रतिरेख तू, कण कण मे तू हर
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आर.एस.एस. और मुसलमान : कुछ लोगों के लिए एक रोमेंटिक खयाल | RSS AND MUSALMAN : THE ROMENTIC THOUGHT
मिडिया के लिए कुछ रोमेंटिक विषय रहेते है, जिसमें से एक विषय है मुसलमानों और राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ’ | अभी थोड़ी देर पहेले ही एक न्यूज़ चेनल के कार्यक्रम में एक बड़ा विश्लेषण आया | जिसमे बताया गया की संघ के विजयादशमी के संदर्भ में देश भर में चल रहे कार्यक्रमों में आजतक किसी मुसलमान
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में राष्ट्र हूँ
अखंड हूँ, अगाध हूँ , प्रचंड शक्तिपात हूँ । धर्म रक्षा धार हूँ, अधर्मीओ पे वार हूँ । काल को संहारता राम का मे बाण हूँ, सृष्टि को सवांरता कृष्ण का कलाप हूँ । ब्रह्मा के ज्ञान की धीरी धीरी सी चाल हूँ, लय-प्रलय संभालता मे शिवा का भाल हूँ । मे राष्ट्र हूँ, मे
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जाकिर नायक को क़ानूनी सबक मिलना ही चाहिए | ZAKIR NAYAK MUST GET LEGAL LESSON FROM OUR SYSTEM
तारीफ फ़तेह जो केनेडियन लेखक और लिबरल एक्टिविस्ट है , जब कर्णावती(अमदावाद) आये थे तब उन्हों ने एक बात कही थी जाकिर नायक के बारे में ! तारिक ने कहा था एक बदसूरत व्यक्ति इस्लाम के बारे में खूब सूरत बाते बताता है | इस्लाम की खुबसूरत बाते और जाकिर की बदसूरती के संदर्भ को
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सिर्फ राजनीति अहिंदू गतिविधि चलाने वालों का मकसद नहीं !
कुछ घटनाएँ तीव्र गति से बनती जा रही है | और हर बार ऐसी घटनाएँ एक बात स्पष्ट कर जाती है की एक टोली है इस देश में जो नागरिको में ध्रुवीकरण कर रही है | जब इस घटनाओ का बारिकी से अध्ययन करते है तो लगता है की यह मामला ध्रुवीकरण का नहीं है
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रिवोल्यूशनरी टेररिस्ट शब्द हमारे स्वातंत्र्य वीरों को गाली ही है I Revolutionary Terrorist is a wrong word for Vir Bhagat sinh
इन्डियन एक्सप्रेस में जे.एन.यु. की प्रोफ़ेसर मृदुला मुखर्जी का आलेख “ A History of their own” पढ़ा I वैसे उनकी बातों से कोई आश्चर्य नहीं हुआ I यह कोम्युनिस्ट लोग आर.एस.एस. के बारे में, देश के इतिहास के बारे में ऐसी ही सोच रखते है , कुछ नया नहीं है इसमें I हाँ, इस आलेख
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कन्नूर मे आरएसएस कार्यकर्त्ताओ के साथ हुई हिंसा के परिप्रेक्ष में जे. नंदकुमार जी ( अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख, रा.स्व.संघ) An interview on Kannur Violence of Shri J.Nandkumar ( Akhil Bhartiya Sah Prachar Pramukh-RSS)
केरल का कन्नूर एक ऐसा जिला है , जो संघ स्वयंसेवकों पर हुए अत्याचारों की अनेकों अनकही कहानियाँ अपने अन्दर छुपाये हुए हैं ! यह दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि पुराने मीडिया की नजरे इनायत इधर नहीं है ! क्योंकि उसकी व्यस्तता और रूचि संघ परिवार के सकारात्मक सेवा कार्यों को विध्वंसक बताकर उसे अकारण बदनाम
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विनिता VINITA a short story by Vijay Thaker
बेंक में “सिंगल विंडो” सिस्टम लागु हुई उसके बाद काम समान रूप से ज्यादा रहेने लगा है I पहेले कुछ काउंटर पर काम कम या ज्यादा रहेता था, पर अब सभी काम सभी काउंटर पर हो सकते है और स्टाफ भी कम हो गया है I अब तो बेंक में दिन शुरू होता है और
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देशप्रेम ह्रदय में होना चाहिए, और हृदय अभिव्यक्त भी होना चाहिए !
आजकल एक चर्चा चल पड़ी है, कोई कहेता है की में भारत माता की जय बोलूँगा ,तो कोई कहेता है की मेरी गरदन पर छुरी रख दो फिर भी में भारत माता की जय नहीं बोलूँगा, किसी ने बोला भारत माता की जय बोलने में कोई दिक्कत नहीं पर हमसे देशभक्ति का प्रमाण पत्र क्यूँ
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हाँ मै हिन्दू हुँ ।
हाँ मै हिन्दू हुँ , प्रलयंकर हुँ , अभयंकर भी हुँ । हाँ मै हिन्दू हुँ । धूप छाँव की विषमता मे रहेता भी हुँ , और काल के धाँवों को मै सहेता भी हुँ । विष को अमृत समज कर पीता भी हुँ , और होली में जलकर मै जीता भी हुँ । हाँ
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हाँ फिर से ललकार करे हम,
हाँ फिर से ललकार करे हम, हाँ फिर से ललकार करे । चिरकर सिना दुःशासनों का, फिर से हम रक्तपान करे । हाँ फिर से ललकार करे ….. दुर्योधनों की जंघा को चीरे , फिर से रण चित्कार करे । कंंसो जरासंघो को काटे, और तेरा जयजयकार करे । हाँ फिर से ललकार करे ……
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हम तो परछांई यों सेे डरते है
हम तो परछांईयों से डरते है , प्यार तन्हाईयों से करते है । तुजको मिलना तो ऐसी आदत है, रोज सपनों में आके मिलते है । ऐसे डरने की कोई बात नहीं, ये उजालें है गम की रात नहीं । एक नदीया के दो किनारे हम, बिन मिलें भी कोई उदास नहीं एक समंदर है
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अब बता ए राष्ट्रपुरुष…..
शंखनादों ने है भेदा गगन, रण दुदुंभी ने भी है छेड़ा तरंग । राष्ट्र नायकों का भी मचला है मन, चीख उठा भी तो है सारा चमन, यौवन बिछाए प्राण जब होकर मगन । अब बता ए राष्ट्रपुरूष, तुम हार कैसे जाओगे ? तार मिले है अब ह्रदय से, डग भी मिले है कदम से
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असहिष्णुता : राजनीती नहीं राष्ट्रनीति पर प्रहार Intolerance : poke at politics not Rashtraniti
बिहार चुनाव से पहेले भारत में असहिष्णुता बढ़ रही है ऐसी बाते बार बार उठी I जैसे ही बिहार चुनाव ख़तम हुआ तुरंत ये आवाजे दब गई I कुछ विश्लेषको ने कहेना शुरू कर दिया की बस अब ये असहिष्णुता अगले किसी चुनाव में ही बढ़ेगी I और अचानक आमिर खान का बयान आया की
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